मनोहरपुर-सरहुल पूजा महोत्सव पर,तिरला सरना स्थल से निकाली गई भव्य शोभा यात्रा.
मनोहरपुरः सरहुल(खद्दि) पूजा के उपलक्ष्य में 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार को शहर में शोभा यात्रा निकाली गई.इसकी तैयारी को लेकर कुडुख सरना जागरण मंच के द्वारा पूर्व से की जा रही थी.आज सुबह से ही मनोहरपुर,तिरला स्थित सरना स्थल पर सरहुल महोत्सव को लेकर समाज के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.वहीं सरहुल शोभा यात्रा निकाले जाने से पूर्व तिरला सरना स्थल पर कुड़ुख सरना समाज के पुजारी एवं लोगों ने पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा अर्चना किया.साथ ही क्षेत्र की समृद्धि व सुख शांति के लिए प्रार्थना किया.इसके उपरांत पारंपरिक वेशभूषा में हज़ारों की संख्या में उपस्थित कुड़ुख सरना समाज के महिलायें,पुरुष एवं युवक युवतियां ने बाजे गाजे के बीच भव्य शोभा यात्रा में शामिल हुई.जगह जगह पर लोगों के द्वारा शोभा यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत में पानी शर्बत चना आदि का इंतज़ाम किया गया.काफी अनुशासित व शांतिपूर्ण ढंग से शोभा यात्रा शहर के विभिन्न इलाको से होते हुए मनोहरपुर रांची ऊंधन मुख्य मार्ग शहीद निर्मल चौक,रेलक्रासिंग इंदिरा नगर गणेश मंदिर होते हुए लाइनपार फ़ॉरेस्ट नाका होते हुए जतरा टाँड डोंगाकाटा स्थल पर पहुँचकर संम्पन हुई.इस अवसर पर कुड़ुख सरना जागरण मंच द्वारा बतौर मुख्य अतिथि बीडीओ हरि उरांव एवं स्थानीय आमंत्रित विशिष्ठ अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता जे.बी तुबीद ज़िला परिषद उपाध्यक्ष रंजित यादव,ज़िप सदस्य जयप्रकाश महतो समेत अन्य अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया.साथ ही इस अवसर पर आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुड़ुख सरना समाज की युवक युवतियों के द्वारा नृत्य गीत आदी कार्यक्रम प्रस्तुत किया.उपस्थित लोगों ने सरहुल महोत्सव पर आयोजित आयोजन का जमकर आनंद उठाया.शोभा यात्रा के दौरान विधि व्यवस्था में जुटे स्थानीय पुलिस प्रशासन के जवान जगह जगह चाकचौबंद दिखे.इस अवसर पर कुड़ुख सरना जागरण मंच के संरक्षक बोदे खलखो ने कहा कि सरहुल प्रकृति से जुड़ा पर्व है और सरना समाज के लोग प्रकृतिक के उपासक है तथा इस पारंपरिक संस्कृति का अनुपालन कालांतर से चलता आ रहा है.हमारा भारत देश इन्ही परंपराओं से जाना जाता है.हमारी पुरातन घरोहर व आदिवासी संस्कृति के अस्तित्व को कुछ लोग छीनभिन्न करने में जुटे हुए है.वे इसमें कदापि सफल नहीं होंगे.उन्होंने कहा कि किसी के प्रलोभन में आकर सरना समाज के लोग इधर उधर ना भटकें.बल्कि अपनी विरासत व संस्कृति को बचाने में आपसी चट्टानी एकता का परिचय दें.तभी हम अपनी अस्मिता व संस्कृति की रक्षा कर पायेंगे.इसके लिए उन्होंने सामाजिक कुरतीयों को दूर करने व नशापान मुक्त समाज के निर्माण पर बल दिया.साथ ही समाज के लोगों को आर्थिक व बौद्धिक रूप से संपन्नता के लिए शिक्षा का बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया.वहीं सरहुल महोत्सव आयोजन को सफल बनाने के लिए मुख्य रूप से कुडुख सरना जागरण मंच समाज के प्रमुख रोबी लकड़ा,बंदना उरांव,बहनु तिर्की,किशोर कुमार खलखो,प्रमोद केरकेट्टा,तिला तिर्की,अजित तिर्की,बुद्धेश्वर धनवार,सुकदेव उरांव,सावन धनवार,भीमसेन तिग्गा,मानुऐल बेक,फूलचंद कुजूर,बिरसा तिर्की,फागू केरकेट्टा,रामचंद्र कच्छप,मोहनलाल कच्छप,करमा केरकेट्टा,समेत हज़ारो की संख्या में सरना समाज के लोग शामिल हुए.