मनोहरपुर-बकरीद का त्योहार धूमधाम से मना,नमाज अदा कर मांगी दुआयें.
मनोहरपुर : सोमवार को मनोहरपुर,आनंदपुर व जराईकेला अंचल में बक़रीद का त्योहार धूमधाम से मनाया गया.सुबह मुस्लिम समुदायों ने विभिन्न मस्जिदों में नमाज़ अदा कर देश में अमन व आपसी भाईचारे की दुआयें मांगी.साथ ही एक दूसरे को ईद-उल-अजहा(बक़रीद) की मुबारकबाद दिया.उल्लेखनीय है कि मुस्लिम समुदायों के लिए यह त्योहार इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद का पर्व खास माना जाता है.बकरीद यानी ईद-उल-अजहा के अवसर पर कुर्बानी देने का रिवाज काफी समय से चला आ रहा है.बकरीद पर बकरे या फिर भेड़ की कुर्बानी क्यों की जाती है जानें:-मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.इस पर्व को ईद-उल-अजहा को इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या भेड़ की कुर्बानी करते हैं.इसके अलावा बकरीद पर मस्जिदों और घरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है और लोग मस्जिदों में जाकर सामूहिक नमाज अदा करते हैं.बकरीद का मुख्य मकसद अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का सम्मान और स्मरण करना है.इसलिए दी जाती है कुर्बानी:-एक बार हजरत इब्राहिम ने स्वप्न्न में देखा कि वह अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे है.वह खुदा में पूरा विश्वास रखते थे.उन्होंने इस सपने को अल्लाह का पैगाम माना और इसे पूरा करने का निर्णय लिया.हजरत इब्राहिम ने खुदा के लिए अपने बच्चे को कुर्बान करने का फैसला लिया.उनकी इबादत को देख खुदा ने उनको अपने बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने के लिए कहा.खुदा के इस आदेश को अमल कर हजरत इब्राहिम ने बेटे के कुर्बानी न देकर अपने चहेते मेमने की कुर्बानी दी.इसलिए बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है.ईद-अल-अजहा को बकरीद इस वजह से भी कहा जाता है, क्योंकि इस पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी करते हैं.