सारंडा के बलिबा सीआरपीएफ कैंप में वज्रपात की चपेट में आने से द्वितीय कमान अधिकारी एमपी सिंह की मौत.
मनोहरपुर : ( झारखंड), 16 मई — पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगलों में गुरुवार शाम एक दर्दनाक हादसे में सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी एमपी सिंह की वज्रपात की चपेट में आकर मौत हो गई। यह घटना शाम 5:30 बजे उस वक्त हुई जब बालिबा स्थित सीआरपीएफ की 26वीं बटालियन के कैंप पर बिजली गिरी। हादसे में चार जवान गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से एमपी सिंह ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।जानकारी के अनुसार अन्य घायलों में सहायक कमांडेंट सुबीर कुमार मंडल, झारखंड जगुआर के एएसआई सुरेश भगत और एएसआई चंदलाल हांसदा शामिल हैं। सभी को प्राथमिक उपचार के बाद टाटा मेन हॉस्पिटल, नोवामुंडी में भर्ती कराया गया, जहां तीनों की हालत नाजुक बनी हुई है।नक्सल प्रभावित इस इलाके में सुरक्षाबल पहले से ही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तैनात हैं। ऐसे में यह प्राकृतिक आपदा एक नई मुश्किल बनकर सामने आई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वज्रपात की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के गांवों में दहशत फैल गई।घटना की जानकारी मिलते ही किरीबुरु-मेघाहातुबुरु जनरल अस्पताल से मेडिकल टीम ऑक्सीजन सिलेंडर और आवश्यक सामग्री के साथ मौके पर भेजी गई। कठिन परिस्थितियों में घायलों को जंगल से बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। प्रशासन की तत्परता ने घायलों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर और कोल्हान डीआईजी मनोज रतन चौथे ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि घायलों के बेहतर इलाज के लिए उन्हें हेलीकॉप्टर से रांची भेजा गया है। डीआईजी ने बताया कि एक दिन पहले ही नक्सल अभियान की रणनीति तय की गई थी, लेकिन उससे पहले ही यह दुखद हादसा हो गया।सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी एमपी सिंह मणिपुर के निवासी थे। उनकी शहादत के बाद उनका पोस्टमार्टम जमशेदपुर में किया जाएगा। इसके बाद सम्मानपूर्वक अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी और उनका पार्थिव शरीर हेलीकॉप्टर के माध्यम से कोलकाता होते हुए मणिपुर स्थित उनके पैतृक गांव भेजा जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि सुरक्षाबलों के लिए एक बार फिर यह याद दिलाती है कि नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से भी मुकाबला करना उनकी ड्यूटी का हिस्सा है।