मनोहरपुर/जराइकेला-गड़ाडोमलाई में उरांव समुदाय ने धूमधाम से मनाया जतरा पर्व.
मनोहरपुर : मनोहरपुर प्रखंड के जराइकेला ग्राम कुम्हारमुण्डा में गुरुवार को उरांव समुदाय ने पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ ज्येष्ठ जतरा पर्व मनाया। गड़ाडोमलाई बारह पड़हा जतरा पूजा समिति के तत्वावधान में आयोजित इस पर्व में बड़ी संख्या में समुदाय के लोग शामिल हुए।पर्व के दौरान ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा में शिरकत की और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। विभिन्न समितियों का गठन भी किया गया, जिससे आयोजन में अनुशासन और उत्साह का संचार हुआ।उरांव समाज की अस्मिता और गौरव का प्रतीक:-कार्यक्रम के दौरान समाज के बारहा पड़हा आयोजन समिति के प्रमुख भीमसेन तिग्गा ने जतरा पर्व के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह पर्व उरांव समाज की अस्मिता, गौरव और वीरता का प्रतीक है, जिसे जेठ कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने रोहतासगढ़ किले पर विदेशी आक्रांताओं के हमले को तीन बार परास्त किया था। इस वीरगाथा की याद में हमारे नीले झंडे पर तीन लकीरें बनाई जाती हैं, जो त्रैविक विजय का प्रतीक हैं।”सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता का पर्व:-जतरा पर्व को समाज को जोड़ने वाला त्योहार बताते हुए तिग्गा ने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और समाज को एकसूत्र में बांधने का कार्य करता है। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि राजी सरना प्रार्थना सभा ओड़िसा के अध्यक्ष मानीलाल केरकेट्टा, सचिव सुशील लकड़ा,कोषाध्यक्ष बुड़ू उरांव, एवं राउरकेला प्रार्थना सभा के अध्यक्ष झारियो केरकेट्टा, कोषाध्यक्ष मीना तिर्की सहित सैकडो की संख्या में पारंपरिक भेषभूषा में उरांव सरना समाज के गणमान्य रामचंद्र कच्छप,सोहराई मिंज,अर्जुन धनवार,बासु लकड़ा,करमा मिंज एवं महिलाएं,पुरुष आदि उपस्थित रहे. वहीं इस समारोह के अंत में पारंपरिक नृत्य और गीतों के माध्यम से समाज की एकता और संस्कृति का उत्सवपूर्ण प्रदर्शन किया गया।