पुनर्वास से पुनर्जीवन: नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील, सारंडा में सीआरपीएफ का अभियान तेज
मनोहरपुर: पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत सुदूरवर्ती सारंडा के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों ने आत्मसमर्पण और पुनर्वास अभियान को नई गति दे दी है। सीआरपीएफ 134 बटालियन के अधिकारी एवं जवानों ने डोमलाई हाट बाजार, सागजोड़़ी, रेडा, दीघा और तिरिलपोसी सहित कई गाँवों में बैनर और पोस्टर लगाकर नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील की।इन पोस्टरों में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का उल्लेख करते हुए नक्सलियों को “पुनर्वास से पुनर्जीवन” अभियान का संदेश दिया गया है। सुरक्षा बलों ने आश्वस्त किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को सरकार एवं पुलिस द्वारा पूरी सुरक्षा और सहयोग प्रदान किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस “मिशन–2026” के तहत झारखंड को नक्सल मुक्त राज्य बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। इसी क्रम में सीआरपीएफ, हॉकफोर्स और कोबरा बटालियन जंगलों में लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। जवानों की बढ़ी सक्रियता के कारण नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई है और पिछले कुछ महीनों में कई कुख्यात नक्सली मारे गए हैं। इसके बावजूद सीमावर्ती इलाकों में नक्सल मूवमेंट जारी है, जिसे रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने जन जागरूकता अभियान को और मजबूत किया है।
सीआरपीएफ 134 बटालियन के जवानों ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि संगठन छोड़ने वाले नक्सलियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दिया जाएगा। बैनरों में भावनात्मक संदेश भी शामिल किए गए हैं। एक पोस्टर में लिखा है—*”अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते कदम… आपके बच्चे ने संदेश भेजा है— ‘पापा, घर लौट आइए… आपकी बहुत याद आती है।’”*सुरक्षा बलों का मानना है कि ऐसे मानवीय संदेश और पुनर्वास योजनाएँ नक्सल प्रभावित इलाकों में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं और भटके युवाओं को समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।