चाईबासा-आदिवासी समाज के लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर, शहीद प्रेम कुमार महतो को दी भावभीनी श्रद्धांजलि.
चाईबासा : शनिवार शाम पोस्ट ऑफिस चौक पर आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा बोकारो स्टील प्लांट में बर्बरता पूर्ण कार्यवाही में शहीद हुए प्रेम कुमार महतो का भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कैंडल मार्च निकाला. कैंडल मार्च निकालकर वर्तमान सरकार और पूंजीपतियों के तानाशाही रवैया के खिलाफ़ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विरोध में जमकर नारेबाजी की गई. साथ ही राज्य सरकार से उद्योग नीति, नियोजन नीति और विस्थापन नीति को झारखंडी जनमानस के अनुकूल बनाकर सख्ती से लागू करने की मांग की गई. वहीं कैंडल मार्च की अगुवाई कर रहे रेयांस सामड ने कहा कि "जमीन भी दे झारखंडी और जान भी दे झारखंडी " ये अब झारखंडी बर्दास्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि लिहाजा चाईबासा में भी बायपास रोड को लेकर 16 मौजा के रैयतों के बहुफसली खेतों से ग्रामीणों को विस्थापित किया जा रहा है, ऐसी घटना की पुनरावृति हुई तो उलगुलान होगा. अधिवक्ता महेंद्र जामूदा ने कहा कि 1965 में हमारे पूर्वजों ने बीसीएल बोकारो को इसलिए जमीन दी थी कि हमारे वारिस कभी भूखे नहीं रहेंगे, उनके परिजनों को नौकरी पीढ़ी दर पीढ़ी मिलते रहेगा. उन्हें क्या पता था कि आने वाले समय में अपना झारखंड पूंजीपतियों एवं राजतंत्र के हत्थे चढ़ जाएगा. उनके परिजनों को आज जमीन से भी वंचित कर दिया गया और नौकरी से भी, अब वो जाए तो कहां जाए. इसलिए अब अपना अधिकार झारखंडी लड़ कर लेंगे. आज एक प्रेम कुमार महतो के शहीद होने से लाखों प्रेम कुमार महतो खड़े हो गए हैं. इस मौके पर साधु हो, नारायण काण्डेयांग, रमेश जेराई, राहुल बिरुवा, बासिल हेंब्रम, नितिन जमुदा, कालीचरण सवैया, संजय सरील देवग़म, गुरा सिंकू, कंचनलता गगराई, सपना मेलगंडी, निशि गगराई, आकाश हेंब्रम, बनमाली तामसोय, रघुनाथ बिरुवा और काफी संख्या में लोग शामिल थे.