मनोहरपुर में सरहुल त्योहार घुमधाम से मना.
मनोहरपुर: कुड़ुख सरना जागरण मंच मनोहरपुर आनंदपुर की ओर से मनोहरपु में गुरूवार को सरहुल पूजा का अयोजन किया गया. कोरोना महामारी के मद्देनजर मास्क एवं सामाजिक दूरी का पालन करते हुए तिरला सरना स्थल एवं डोगाकाटा ,सरना स्थल में परंपरिक विधि विधान के साथ पाहन पूजारी सुधीर केरकेट्टा व सनिका केरकेट्टा के द्वारा सरहुल पूजा संपन्न किया गया.सरहुल पूजा आदिवासियों का प्रमुख तथा प्रकृति की आराधना का पर्व है.आदिवासियों का ऎसी मान्यता है कि इस पर्व के बाद से ही नए फलो फसलों का उपयोग शुरु किया जाता हैं. सरहुल केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि आदिवासी समुदाय का प्राकृतिक धरोहर व पारंपरिक विरासत है.इसी पारंपरिक विरासत व धरोहर को हर साल चैत्र महीना के कृष्ण पक्ष की तृतीया महीना को चांद दिखाई पड़ने के साथ ही सरहुल का आगाज पुर्णिमा के दिन ये पर्व संंपन्न होता है.सरहुल त्योहार धरती माता के लिए समर्पित है.इस त्यौहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है.सरहुल दो शब्दो से बना है हुआ है सर और हुल सक का मतलब सरई या सखुआ फुल होता है वहीं हुल का मतलब क्रांति होता है इस तरह सखुआ फूलों, की क्रांति को सरहुल कहा जाता है. वही इस अवसर पर पारंपरिक रीति रिवाजों के आनुसार नाच गान का भी अयोजन किया गया. जिसमें कुडूख जागरण मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी बोदे खलखो,रॉबी लकड़ा, गंझू बरवा, बुद्धेश्वर धनवार, प्रमोद केरकेट्टा, छोटू खलखो ,बांधना उरांव, फागू केरकेट्टा भीमसेन तिग्गा, सैलू कच्छप, बसु लकड़ा,तिला तिर्की, राजकुमार कच्छप,मंगल एक्का, दुलारी खलखो, समेत सैंकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष शामिल थे.