मनोहरपुर-सरकार से किया एमओयू किंतु स्टील प्लांट नहीं लगा,ज़मीन वापसी के लिए भूस्वामि हुए गोलबंद.

मनोहरपुर-उद्योग स्थापना के नाम पर झारखंड सरकार से किया गया एमओयू दशक वित गया उद्योग की स्थापना धरातल में दिखता नज़र नहीं आ रहा है.मनोहरपुर में स्टील प्लांट लग़ाने को लेकर बेदांता कंपनी भी अपनी दिलचस्पीया दिखाई किंतु अब अर्से वित जाने के बाद भी ठोष नतीजा सामने नहीं आया.कुछ रैयतो का हवाला देते हुए जान देंगे ज़मीन नहीं देंगे उक्त कंपनी प्रबंधन मनोहरपुर में उद्योग नहीं लगने का सारा ठीकरा रैयतो के सर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ने में है.अब उद्योग स्थापना के नाम पर ली गई कृषि आधारित भूमि पर मनोहरपुर में स्टील प्लांट उधोग स्थापना तो हुई नहीं किंतु कंपनी द्वारा रैयतो से लिया गया ज़मीन बंजर में तब्दील हो गया.अब रैयत भी अपनी ज़मीन पर उद्योग नहीं लगने से ज़मीन वापसी को लेकर गोलबंद होंते दिख रहे है.उद्योग विरोधी का भ्रम पूर्व कोंग्रेस प्रत्याक्षि,एवं आदिवासी नेता सुशील बारला का नाम क्षेत्र में उद्योग विरोधी को लेकर आम लोगों के बीच चर्चा बन गई.इस सच्चाई से पर पर्दा उठाते हुए प्रेसवार्ता में श्री बारला ने कहा ,की उद्योग विरोधी करने के नाम पर हमें राजनीतिक प्रतिद्वदियों ने बदनाम किया है.जबक़ी सच्चाई तो यह है.झारखण्ड स्थापना के बाद से मनोहरपुर में उधोग स्थापना के नाम पर खुब राजनीति हुई। टाटा,एस्सार,V.S.Dempo,बेदान्ता ने बड़े-बडे़ वादे कर सरकार से MoU किया।लेकिन मनोहरपुर में उसका उधोग स्थापना नहीं लेकिन सरण्डा के लौह अयस्क पर उनकी नजर थी।2007-08 में V.S.Dempo ने डिम्बुली के रैयतों से 110.53 एकड़ जमीन 1000/-(एक हजार)रूपया प्रति डिसमिल CNT.Act-49 के तहत खरीदा एवं 41.07 एकड़ परती भूमि दी गयी।रैयतों को खूब सपना दिखाए लेकिन 2016-17 में उस जमीन को वेदान्ता को दे दिया। उन्होने 1.0.MTPA HOT Plant के लिए 7:9:2018 को समाजिक प्रभाव मुल्यांकन के लिए ग्राम-सभा किया।सिर्फ़ सूरिन टोला के कुछ रैयतो ने अपनी ज़मीन नहीं देने का विरोध किया था.जबकि कम्पनी को उधोग स्थापना करना ही था तो सुरीन टोला को छोड़कर दाऊतुम्बा,डुकुरड़ीह में बाकी 72 एकड़ जमीन ले सकते थे।हमने स्वयं रैयतों को दिए जाने वाले 1000/- प्रति डिसमिल का दर कृषि भूमि को व्यवसायिक भूमि में परिवर्तन कर दर तय करने का हिमायती करता रहा। साथ ही साथ रैयतों को 100% उक्त कम्पनी में नौकरी की हिस्सेदारी की माँग करता रहा। लेकिन षडयंत्रकारी दलाली में लगे रहे। अब सभी कम्पनी यहाँ से अन्यत्र पलायन करने पर हैं। क्योंकि उनका एकमात्र ‌उद्देश्य लौह अयस्क पर कब्जा जमाना था।हमें सिर्फ राजनीति षडयंत्र के तहत बदनाम किया गया।अब ग्रामीण समझ गया है।षडयंत्रकारीयों को समय पर जबाब मिलेगा।उपायुक्त प०सिंहभूम के आदेशानुसार पाँच से दस साल तक उधोग की स्थापना नहीं कर सके भू-स्वामियों को उसका जमीन वापस करना पड़ेगा।

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