मनोहरपुर-भाई बहन का स्नेह व प्रगाढ़ संबंध,भाईदूज का है यह त्योहार.
मनोहरपुरः भाईदूज व्रत भाई बहन के विच असीम स्नेह एवं प्रगाढ़ संबंध का यह त्योहार है.इसकी पौराणिक कहानी एवं मान्यता इस प्रकार हैःधनतेरस से शुरू होने वाला दिवाली उत्सव भाई दूज पर समाप्त होता है.भाई दूज शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर आता है.भाई दूज की पौराणिक कथाओं के बारे में, जो इसके महत्व को बताते हैं.यह भाई व बहन के विच आपसी संबंध एवं स्नेह को दर्शाता है.इस दिन बहन अपने भाई के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती है.साथ ही बहनें अपने भाइयों को अच्छा भोजन भी खिलाती हैं.फिर भाई अपनी बहन को उपहार भी देते हैं.इस दिन के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है.हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और उसके बाद अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी.सुभद्रा ने श्री कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और गले में माला डालकर स्वागत किया.सुभद्रा ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना की.इस कथा के अलावा इस दिन के पीछे यम और यमी की कहानी भी प्रचलित है.यम और यमी की कहानी:-हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है कि इस दिन भगवान यम लंबे समय के बाद अपनी बहन यमी से मिले थे.यमी अपने भाई यम से मिलकर बेहद खुश हुई थीं और उनका स्वागत आरती और मालाओं से किया था.साथ ही उनके माथे पर रोली का तिलक लगाया था.फिर यमी ने यम के लिए एक शानदार भोज का आयोजन किया था.यम ने पूरा दिन अपनी बहन के साथ खुशियों में बिताया और घोषणा की कि जब कोई भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा तो उसे लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा.