मनोहरपुर- छठ व्रतियों ने सूर्य उपासना कर,खरना पूजन किया संपन्न.
मनोहरपुर: लोक आस्था का महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर दिन शुक्रवार को नहाई खाई से हो गई है.छठ व्रत के दूसरा दिन को खरना कहलाता है.छठ व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. छठ पूजा में सूर्य देव का पूजन किया जाता है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है. वहीं शनिवार को छठ व्रतियों ने छठ व्रत के दूसरे दिन खरना पूजा विधि विधान से संपन्न किए.छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है,शुद्धिकरण. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 26 मिनट पर होगा. खरना का महत्व:-खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं. इस दिन छठी माता का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनती है. खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे श्रद्धालुओं के बीच बांटा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इसके अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती लोग नदी और घाटों पर पहुंच जाते हैं. जहां डूबते हुए सूर्य एवं दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देते है. साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं.