मनोहरपुर-घाघरा में आदिवासी हो महासभा की बैठक, वारंग क्षिति लीपी में बोर्ड पुनः लगाने की मांग तेज
मनोहरपुर, पश्चिम सिंहभूम – मंगलवार को मनोहरपुर प्रखंड के घाघरा गांव में आदिवासी हो महासभा की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता ढीपा पंचायत के मुखिया अशोक बंदा ने की। इसमें मनोहरपुर, गोइलकेरा और सोनुवा प्रखंडों के महासभा के प्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में हो समाज के लोग मौजूद रहे। बैठक में कई अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और क्षेत्रीय भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण को लेकर ठोस निर्णय लिए गए।
वारंग क्षिति लीपी में बोर्ड बहाल करने की मांग
बैठक का प्रमुख विषय घाघरा रेलवे हॉल्ट पर से हटाए गए वारंग क्षिति लीपी में लिखे बोर्ड को पुनः स्थापित करना रहा। महासभा के प्रतिनिधियों ने कहा कि स्थापना काल से ही घाघरा हॉल्ट पर स्थान का नाम वारंग क्षिति लीपी में लिखा हुआ था, लेकिन दो माह पूर्व इसे हटा दिया गया, जिससे समाज में गहरा असंतोष है। महासभा ने इस कदम को संस्कृति और पहचान पर चोट करार देते हुए इसे तत्काल बहाल करने की मांग की।बैठक के दौरान महासभा के पदाधिकारियों ने चक्रधरपुर रेल मंडल के आईडब्ल्यू के निरीक्षण दौरे पर उपस्थित होकर इस मुद्दे को मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि यदि बोर्ड को पुनः नहीं लगाया गया तो इसे व्यापक आंदोलन का रूप दिया जाएगा।
कोल्हान क्षेत्र के सभी स्टेशनों और कार्यालयों में वारंग क्षिति लीपी की मांग
बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके तहत कोल्हान क्षेत्र के घाटशिला से जराइकेला तक स्थित सभी रेलवे स्टेशनों के नामों को वारंग क्षिति लीपी में अंकित करने की मांग की गई। इसके अलावा सरकारी संस्थानों और कार्यालयों में भी स्थानों के नाम वारंग क्षिति लीपी में लिखने की सिफारिश की गई। महासभा ने स्पष्ट किया कि यह केवल भाषा का मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का सवाल है।
आगामी कार्यक्रम और जयंती समारोह
बैठक में निर्णय लिया गया कि 19 सितंबर 2025 को घाघरा गांव में कोल गुरु लोको बोदरा की जयंती बड़े धूमधाम और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाई जाएगी। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, गीत एवं समाज की एकजुटता का प्रदर्शन किया जाएगा।
महासभा का चेतावनी भरा रुख
महासभा के सदस्यों ने बैठक में कहा कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन बड़े स्तर पर आंदोलन की राह अपनाएगा। यह केवल घाघरा का मुद्दा नहीं है, बल्कि कोल्हान क्षेत्र की सांस्कृतिक अस्मिता और आदिवासी समाज की विरासत से जुड़ा प्रश्न है। बैठक में मनोहरपुर, गोइलकेरा और सोनुवा प्रखंड के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी ने यह संकेत दिया कि समाज अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए एकजुट है और किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।