सुरक्षित वातावरण में ही संभव है बच्चों का सम्पूर्ण विकास : प्रीति श्रीवास्तव, यूनिसेफ विशेषज्ञ
मनोहरपुर : आनंदपुर प्रखंड के बेडाकेंदुदा पंचायत सभागार में “परिवार आधारित बच्चों की देखभाल एवं समुदाय स्तर पर पालन-पोषण परिवार” विषय पर एक दिवसीय प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त के निर्देशानुसार बाल संरक्षण सहायता कार्यालय एवं समेकित जन विकास संस्था के संयुक्त तत्वावधान में यूनिसेफ के सहयोग से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पुनीता तिवारी ने की, जबकि दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का शुभारंभ रांची यूनिसेफ की विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने किया। मौके पर मुख्य अतिथि जिला परिषद सदस्य विजय भेंगरा, मुखिया अनिल नायक, बाल संरक्षण देखभाल अधिकारी डॉ. कृष्णा कुमार तिवारी, पीसीआई रांची की अंकिता कशिश एवं संस्था के हेड फादर वीरेंद्र टेटे उपस्थित रहे।रांची से आई यूनिसेफ विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास तभी संभव है जब वे सुरक्षित और सशक्त वातावरण में बड़े हों। उन्होंने बाल विवाह जैसे सामाजिक अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कहीं बाल विवाह हो रहा है तो तत्काल इसकी सूचना बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, स्थानीय प्रशासन, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 या आपातकालीन नंबर 112 पर दें। उन्होंने कहा कि कम उम्र में विवाह करवाना न केवल कानूनी अपराध है बल्कि यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। तस्करी, बाल श्रम और बाल पलायन जैसी सामाजिक बुराइयों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इनका उन्मूलन समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी से ही संभव है।बाल संरक्षण देखभाल अधिकारी डॉ. कृष्णा कुमार तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार “समुदाय आधारित बच्चों का वैकल्पिक देखभाल कार्यक्रम” के तहत स्पॉन्सरशिप, फोस्टर केयर और आफ्टर केयर जैसी योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत जरूरतमंद बच्चों को ₹4000 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसके लिए परिवार की वार्षिक आय ₹75,000 से कम होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल श्रम, बाल विवाह और तस्करी समाज के लिए अभिशाप हैं और इसके खिलाफ सामूहिक लड़ाई जरूरी है। यूनिसेफ के तकनीकी सहायक अनिरुद्ध सरकार ने फोस्टर केयर की प्रक्रिया और लाभों पर विस्तृत जानकारी दी।फिया फाउंडेशन के संजय सोरेंग ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित वातावरण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हर नागरिक का दायित्व है। संस्था संचालक बेनिडक्ट एक्का ने कहा कि कम उम्र में विवाह कराना गैर-जिम्मेदाराना कदम है, जिससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है और कुपोषण व मृत्यु दर जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पुनीता तिवारी ने कहा कि समाज के जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी वर्ग और मीडिया की भूमिका इन कुरीतियों के उन्मूलन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्रों में बाल विवाह और बाल तस्करी जैसे मुद्दों को ग्राम सभाओं में उठाएं और सरकारी योजनाओं को धरातल पर लागू करने में सहयोग करें।जिला परिषद सदस्य विजय भेंगरा ने कहा कि बाल अपराधों की रोकथाम में जनसहभागिता सबसे बड़ी ताकत है, जबकि मुखिया अनिल नायक ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों का विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित करें और शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाएं। अंत में संस्था के संचालक फादर वीरेंद्र टेटे ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में मुखिया, मुंडा, ग्रामीण समुदाय, एनजीओ प्रतिनिधि, मेंटर इंटर्नशिप छात्र, चाइल्ड हेल्पलाइन चक्रधरपुर रेलवे के फनीन्द्र बड़ाइक, प्रखंड के कर्मी और सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।